महिलाएं से होता है समाज का निर्माण, इनका रखें खयाल
गर्भवती महिलाओं को दें विटामिन युक्त भोजना और माहौल
पारदर्शी विकास न्यूज़ फतेहपुर। शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस था। भारत में 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और देखभाल के महत्व पर चिंतन किया जाता है। भारत में हर वर्ष मनाया जाने वाला राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस सभी महिलाओं के लिए सुरक्षित, गरिमामय और सुलभ मातृ देखभाल सुनिश्चित करने की आवश्यकता को उजागर करता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास पुष्टाहार विभाग साहब यादव के नेतृत्व में जनपद की समस्त परियोजनाओं अंतर्गत आँगनबाड़ी केंद्रों में पोषण पखवाड़े के साथ राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें किशोरी बालिकाओं, गर्भवती एवं धात्री माताओं को आयरन की गोलियाँ, सेनेटरी पैड, टीएचआर आदि के वितरण के साथ ही सुरक्षित मातृत्व विषय पर जानकारी दी गई। बाल विकास परियोजना बहुआ की मुख्य सेविका शारदा वर्मा ने बताया कि उन्होंने ग्राम नहर खोर आँगनबाड़ी केंद्र में लगभग साठ से अधिक महिलाओं को एकत्र कर आँगनबाड़ी कार्यकत्री प्रभा तिवारी, चित्र लेखा एवं आशा बहु उषा देवी के सहयोग से लाभार्थियों के साथ समुदाय के अन्य लोगों को भी नारे, समूह चर्चा, रंगोली बना कर जागरूक करने का पूर्ण प्रयास किया। इसी प्रकार भिटौरा में बाल विकास परियोजना अधिकारी माधुरी कुमारी के नेतृत्व में किशोरी बालिकाओं को स्वास्थ्य केंद्र में आयरन की गोलियां एवं सेनेटरी पैड आदि का वितरण किया। वरिष्ठ सलाहकार एवं कार्यक्रम अधिकारी तकनीकी क्रियान्वयन इकाई-जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना अनुभव गर्ग ने बताया की यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभियान है जिसका उद्देश्य मातृ स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है। हालाँकि मातृ मृत्यु दर में कुछ हद तक कमी आई है, लेकिन ग्रामीण और वंचित समुदायों की कई महिलाएं आज भी समय पर गुणवत्तापूर्ण देखभाल से वंचित हैं। ऐसे में यह दिन नीति-निर्माण, जनभागीदारी और समुदाय-सक्रियता के लिए एक अहम मंच बन जाता है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग साहब यादव द्वारा बताया गया की भारत जैसे विशाल देश में, जहां विज्ञान और तकनीक में निरंतर प्रगति हो रही है, वहीं कुपोषण अब भी एक गंभीर और जटिल सामाजिक संकट बना हुआ है। यही वजह है कि सरकार ने वर्ष 2018 में ‘पोषण अभियान’ की शुरुआत की थी, ताकि महिलाओं, बच्चों और पूरे परिवार को उचित पोषण सुनिश्चित किया जा सके। इस मिशन की एक महत्वपूर्ण पहल है पोषण पखवाड़ा, जो हर साल एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान के रूप में मनाया जाता है। बाल विकास परियोजना अधिकारी बहुआ एवं शहरी रवि शास्त्री ने बताया की शिशु के जन्म से पहले के 9 महीने और उसके जीवन के पहले दो साल यानि कुल 1,000 दिन बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास की नींव रखते हैं. पोषण अभियान इन दिनों को ‘जादुई काल’ मानता है और माताओं को संतुलित आहार, उचित देखभाल और स्तनपान के लिए प्रेरित करता है।

2023 में शुरू किया गया सीएमएएम प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल और इलाज में मदद करता है। पोषण पखवाड़ा 2025 के दौरान इस प्रोटोकॉल को केंद्र में रखा गया है, ताकि हर आंगनवाड़ी केंद्र एक पोषण क्लिनिक में बदला जा सके।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के प्रमुख उद्देश्य
- मातृ स्वास्थ्य, अधिकारों और प्रजनन देखभाल पर जन-जागरूकता बढ़ाना
- पूर्व प्रसव, प्रसव और पश्चात सेवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना
- सुरक्षित प्रसव प्रक्रियाओं और हस्तक्षेपों के माध्यम से मातृ मृत्यु को रोकना
- गर्भवती महिलाओं और भरूण के विकास को प्रभावित करने वाले कुपोषण से मुकाबला करना
- स्वास्थ्य साक्षरता और प्रजनन निर्णय के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना
- सभी प्रसवों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थिति को प्रोत्साहित करना
2025 की थीम
थीम स्वस्थ शुरुआत, आशावान भविष्य
केन्द्र बिंदु गर्भावस्था की शुरुआत से ही सुलभ एवं गुणवत्तापूर्ण मातृ देखभाल को बढ़ावा देना, ताकि माँ और बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित परिणाम सुनिश्चित हो सकें।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास - इसकी शुरुआत वाइट रिबन एलायंस इंडिया द्वारा वर्ष 2003 में की गई थी।
- यह दिवस कस्तूरबा गांधी की 90वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- इसका उद्देश्य मातृ मृत्यु दर में कमी लाना और महिलाओं के प्रजनन अधिकारों व सुरक्षा की वकालत करना है।
सुरक्षित मातृत्व के 5 प्रमुख स्तंभ - परिवार नियोजन: योजनाबद्ध गर्भधारण और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच
- पूर्व प्रसव देखभाल: माँ और भ्रूण के स्वास्थ्य की नियमित जाँच
- प्रशिक्षित प्रसव सहयोग: योग्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्रसव कराना
- आपातकालीन चिकित्सा देखभाल: गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जटिलताओं की स्थिति में त्वरित सहायता।
- पश्चात देखभाल: प्रसव के बाद माँ और नवजात की देखभाल व स्वास्थ्य लाभ
- भारत में सुरक्षित मातृत्व को प्राप्त करने की चुनौतियाँ
- ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच
- प्रशिक्षित दाई और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी
- गरीबी और कुपोषण, जो गर्भावस्था को जोखिमपूर्ण बनाते हैं
- सांस्कृतिक और सामाजिक बाधाएं, जो स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में रुकावट बनती हैं
- स्वास्थ्य जागरूकता की कमी, खासकर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संबंधी व्यवहारों में
- आपातकालीन प्रसूति सेवाओं का अभाव, जैसे ऑपरेशन या रक्त आधान
- प्रसवोत्तर उपेक्षा, जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और संक्रमण
सरकार की पहलें - जननी सुरक्षा योजना: संस्थागत प्रसव हेतु वित्तीय प्रोत्साहन
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान: निःशुल्क प्रसवपूर्व जांच
- पोषण अभियान: मातृ एवं शिशु पोषण पर विशेष ध्यान
- लक्ष्य पहल: लेबर रूम और प्रसूति कक्षों की गुणवत्ता में सुधार
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना
- मातृ एवं शिशु ट्रैकिंग प्रणाली: गर्भवती महिलाओं और नवजातों की निगरानी
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का महत्व - मातृ स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में रेखांकित करता है
- सरकार, नागरिक समाज और समुदायों के सहयोग को प्रोत्साहित करता है
- महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों में निवेश को बढ़ावा देता है
- सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान देता है
- पोषण पखवाड़ा 2025 एक समर्पित कोशिश है। कृहर माँ, हर बच्चे और हर परिवार तक पोषण पहुंचाने की जब परंपरा और तकनीक एक साथ मिलते हैं, जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सशक्त होते हैं और जब हर नागरिक भागीदारी निभाता है, तभी एक मजबूत और स्वस्थ भारत की नींव रखी जा सकती है। इन दिनों बच्चे खाते समय टीवी और स्मार्टफोन पर लगे रहते हैं। खाते समय ऐसी चीजों से बचें। खाते समय अपने भोजन, उसके स्वाद, रंग और तापमान पर ध्यान देना सबसे बढ़िया होता है। बच्चों को उतना ही खिलाएं, जितना वे आसानी से खा लें। क्योंकि, जरूरत से ज्यादा खाना पाचन तंत्र असर डालता है। जिससे मोटापा बढ़ सकता है। बच्चे को कैंडी, क्रैकर्स, साल्टेड पीनट्स, पिज़्जा या बर्गर्स, जैसे प्रोसेस्ड फूड्स को खाने के लिए कतई न दे। – साहब यादव जिला कार्यक्रम अधिकारी