संचारी रोगो के रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुन्दर पर प्रभावी नियंत्रण आवश्यक- जिला कृषि रक्षा अधिकारी

संजीव भारती /पारदर्शी विकास न्यूज़अमेठी। जे०ई०/ए०ई०एस० रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ साथ चूहा/छछुन्दर भी उत्तरदायी है, इसलिये रोगों के रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुन्दर का भी प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है।

जिला कृषि रक्षा अधिकारी हरिओम मिश्रा ने बताया है कि चूहां, छछुन्दर जैसे जन्तु जापानी इंसफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए०ई०एस०) लेप्टोस्पाइरोसिस व स्क्रब टाईफस जैसी अनेक प्रकार जानलेवा बीमारिया के बाहक हो सकते है। ऐसे स्थान जहां घास, नमी, गंदगी ज्यादा होती है वहाँ इन बीमारियों की संभावना अधिक रहती है। संचारी रोग में मलेरिया, चेचक, हैजा, डेंगू बुखार, सुजाक, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, आते है। चूहों से होने वाले तंजम इंपजम मिअमत के बारे मे भी बताया गया, यह बुखार चूहों के काटनें या खरोचनें से होता है। उन्होने बताया है कि चूहे मुख्य रूप से 02 प्रकार के होते है घरेलू एवं खेत के चूहे धरेलू चूहा घर में पाया जाता है, जिसे चुहिया या मूषक कहा जाता है। खेत के चूहो में फील्ड रैट, साफ्ट फर्ड फील्ड रैट एवं फील्ड माउस प्रमुख है। उन्होने नियंत्रण एवं बचाव की विधियों के सम्बन्ध में बताया है कि चूहो की संख्या को नियंत्रित करनें के लिये अन्य भण्डारण पक्का, कंकरीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिये ताकि भोज्य पदार्थ उन्हे आसानी से उपलब्ध न हो सके। घरों में खिड़कियों एवं रोशनदान पर जाली लगाकर एवं दरवाजों के नीचे खाली जगह पर टायर की पट्टी अथवा सीमेन्टे चौखट बनाकर चूहों को नियंत्रित किया जा सकता है। चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, सॉप, उल्लू, लोमड़ी, चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है इनको संरक्षण देने से चूहो की संख्या नियंत्रित हो सकती है। चूहे दानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फसाकर मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है। घरों में ब्रोमोडियोलॉन 0.005 प्रति० के बने चारें के 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखनें से चूहें खाकर मर जाते है। एल्युमिनियम फास्फाइड़ दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर बिल बंद कर देने से उससे निकलने वाली गैस फास्फीन गैस से चूहे मर जाते है। घर के बाहर कैक्टस व झाड़ीदार पौधें लगानें से चूहे घर में प्रवेश नही करते है तथा मच्छरों की रोकथाम के लिए मच्छर रोधी पौधे जैसे तुलसी, गेंदा, पिपरमेंट, लेमनग्रास, जंगली तुलसी लगाये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *