निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों का देश के बीस राष्ट्रीय महासंघों ने किया समर्थन

अखिल भारतीय सम्मेलन में निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग

आनंद अग्निहोत्री /पारदर्शी विकास न्यूज़ लखनऊ।दिल्ली में हुए सम्मेलन में आज अलग अलग उद्योगों के बीस राष्ट्रीय महासंघों ने उत्तर प्रदेश में चल रही बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर चेतावनी दी है कि निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत उप्र के बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया गया तो देश भर के करोड़ों कर्मचारी आंदोलन करने को बाध्य होंगे। सम्मेलन आल इंडिया फेडरेशन अगेंस्ट प्राइवेटाइजेशन के तत्वावधान में कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ।
सम्मेलन में उपस्थित बीस राष्ट्रीय श्रम संघों की सूची संलग्न है। मुख्यतया आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन, ऑल इंडिया कंफेडरेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स , संचार निगम कर्मचारी महासंघ, आल इंडिया इंश्योरेंस इम्प्लाइज फेडरेशन, एटक, इंटक और अन्य फेडरेशन के शीर्ष पदाधिकारियों ने उप्र में बिजली के निजीकरण का विरोध किया और उप्र के बिजली कर्मियों को पुरजोर समर्थन दिया।

सम्मेलन में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, आल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज, आल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के शीर्ष पदाधिकारी भी उपस्थित थे। आल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन ने निजीकरण विरोधी प्रस्ताव का समर्थन किया।राष्ट्रीय महासंघों की ओर से शिव गोपाल मिश्र, डॉ ए मैथ्यू, गिरीश भावे, अशोक सिंह, शैलेन्द्र दुबे,के अशोक राव ने निजीकरण से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की चर्चा की। उप्र के पी के दीक्षित और मोहम्मद वसीम ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों ने आज लखनऊ में कहा कि जब अवैधानिक ढंग से नियुक्त कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन का फर्जीवाड़ा सामने आ गया है और कंसल्टेंट का शपथ पत्र झूठा पाया गया है तब मुख्य सचिव को कार्यवाही कर कंसल्टेंट की नियुक्ति तत्काल निरस्त करनी चाहिए।

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