Apr 08, 2025
संजीव भारती/पारदर्शी विकास न्यूज अमेठी-सूफी संत मलिक मोहम्मद जायसी की मजार के पास पड़ोसी जनपद बाराबंकी के 40 परिवार अपने बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रोजी-रोटी के चक्कर में रहने को मजबूर है। पुरुष और महिलाएं क्षेत्र में घूम-घूम कर ढोलक बनाने के साथ बेचने का काम कर रहे हैं। दिनभर फेरी करने के बाद शाम को पुनः अपने जुग्गी झोपड़ी में आ जाते हैं और खुले आसमान के नीचे भोजन बनाकर खाकर सो जाते हैं। सुबह फिर वही काम के लिए निकल जाते हैं।
इन परिवारों का साल भर में आठ महीने से अधिक का समय बाहर ही गुजरता है। सरकारी योजनाओं का लाभ अभी तक इन्हें नहीं मिल पाया है।
ढोलक बनाने और बेचने का काम करने वाले कमालुद्दीन के साथ कई लोगों ने बताया कि हम लोग पिछले 4 महीने से इसी स्थान पर खुले आसमान के नीचे अपना जीवन बिता रहे बच्चों का पेट पालने के लिए ढोलक बेचने और बनाने का काम करते हैं। दिन भर जो कमाते हैं,वही शाम को करते हैं। सरकार की ओर से हम लोगों को कोई रोजगार मुहैया नहीं कराया गया है। जिससे हम लोग दर-दर भटक रहे हैं।
मो समीम ने बताया कि हर वर्ष हम लोग इसी स्थान पर आकर रुकते हैं और क्षेत्र में घूम कर ढोलक बेचने और बनाने का काम करते जिससे उनका परिवार चलता है।
तंबू के नीचे पर चूल्हे पर खाना बना रही महिला रुकसाना बानो ने बताया कि उनके पति घूम कर फेरी करते हैं नए ढोलक बनाने के साथ पुरानी ढ़ोलकों को भी ठीक करते हैं जो कुछ रुपया पैसा मिलता है उसी से शाम का भोजन होता है।