भगवान महावीर का संदेश और दर्शन – एक सारांश
Apr 09, 2025
पारदर्शी विकास न्यूज़-भगवान महावीर भारत के महानतम संतों में से एक थे, जिन्होंने अहिंसा, संयम, क्षमा और अनेकांत का मार्ग दिखाया। उनके विचार केवल मुनियों के लिए नहीं, बल्कि आम गृहस्थ जीवन के लिए भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अहिंसा के दो स्तर बताए — मुनियों के लिए महाव्रत, और गृहस्थों के लिए अणुव्रत।
महावीर का दर्शन सिर्फ शांति और समता का नहीं, बल्कि सामाजिक और आत्मिक क्रांति का भी दर्शन है। उन्होंने बताया कि मनुष्य खुद अपने कर्मों का जिम्मेदार है — न कोई भाग्य, न कोई भगवान ऊपर से टेलीग्राम भेज रहा है।
वे असीम करुणा से भरे थे — फूलों के रोने की कल्पना करने वाले, दूब पर न चलने वाले, और दुख में डूबे लोगों की पीड़ा से विचलित हो जाने वाले संत।
महावीर ने उपभोक्तावादी लालच को त्यागने, अपने भीतर खालीपन और संतुलन बनाने का उपदेश दिया। उनका दृष्टिकोण था कि आत्म-संयम ही सच्ची स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा — न बुरा देखो, न सुनो, न कहो — और यही जीवन में शांति का मार्ग है।
उनका यह भी कहना था कि हर जीव एक-दूसरे का सहारा है (परस्परोपग्रहो जीवानाम्), और समाज तभी टिक सकता है जब हम अहिंसा व सहयोग की भावना से चलें।
महावीर जयंती का मतलब सिर्फ झंडे लहराना नहीं है, बल्कि उनके उपदेशों को जीवन में अपनाना है। तभी इस दिवस की सच्ची सार्थकता है।