हिंसा और अशांति से झुलस रही आज की दुनिया, मानवता की रक्षा के लिए बुद्ध का मार्ग जरूरी
निर्वाण प्राप्त संतलाल की स्मृति में खरगापुर में हुई श्रद्धांजलि सभा
भिक्षु और बौद्धाचार्य संघ का हुआ सम्मान
संजीव भारती/पारदर्शी विकास न्यूज़ अमेठी/भादर। शनिवार को खरगापुर में निर्वाण प्राप्त लोक कलाकार सन्तलाल की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा और धम्म देशना कार्यक्रम आयोजित किया गया। बड़ी संख्या में लोगों ने निर्वाण प्राप्त संतलाल को श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्रद्धांजलि सभा में बौद्ध धम्म और भगवान बुद्ध की धम्मदेशनाओं पर विस्तार से संवाद हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत बौद्ध परंपरा के अनुरूप त्रिसरण पंचशील के साथ हुई।सुगतानंद बुद्ध विहार प्रतापगढ़ से आए बौद्ध भिक्षु भंते विश्व जीत ने जातक कथाओं के माध्यम से जीवन मूल्यों की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि मधुर वाणी और मधुर व्यवहार से बढ़ा कोई हथियार संसार में कोई नहीं। जिस राजा की मृत्यु सर्प दंश से होनी थी उसने मधुर व्यवहार के बल पर मृत्यु को जीत लिया और राजा को काटने के लिए राजमहल में आया सर्प उसे अपनी मणि देकर चला गया।
बाबा साहब डॉ अम्बेडकर कभी पारिवारिक माया मोह के चक्कर में नहीं फंसे और तमाम अपमान सहने के बाद भी कभी सामाजिक दायित्व से पीछे नहीं हटे और आज भारत के शोषितों, पिछड़ों को हक , अधिकार , दुनिया का सबसे अच्छा संविधान और बौद्ध धम्म देकर गये। शिक्षा के बल पर ही उन्होंने सारे हक अधिकार दिए और सबको जगाकर गये है। शिक्षा ही विकास का मूलमंत्र है।

सिरमौर बौद्ध विहार सोइया के भंते धम्मदीप ने कहा कि निर्वाण प्राप्त संतलाल ने संगीत के क्षेत्र में प्रवीणता और ऊंचाईयां हासिल की और बाबा साहब डॉ अम्बेडकर के मार्ग को अपनाकर सुखी, समृद्ध और जागरूक परिवार का निर्माण किया।
जन्म और मृत्यु प्रकृति के नियमों में शामिल हैं। पैदा होना ही दुःख है। कोई भी अपने परिवार से अलग नहीं होना चाहता, यही दुःख का कारण है। भंते धम्मदीप ने देवदत्त की ओर से भगवान बुद्ध को मारने के लिए किए गए सभी असफल प्रयासों की कहानी सुनाई और कहा कि करुणा और क्षमा के बल पर उन्होंने क्रोध और अहंकार को जीत लिया।
आयोजक निहाल चंद और ग्राम प्रधान कमलेश कुमारी ने अपने परिवार के साथ लोगों का स्वागत सम्मान किया और बौद्धाचार्य और भिक्षु संघ को धम्मदान किया।
धम्मदेशना कार्यक्रम में लोगों ने पीड़ित परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। श्रद्धांजलि सभा का संचालन बौद्धाचार्य राम समुझ ने किया। बामसेफ के जिला संयोजक संजीव भारती, बसपा के विधानसभा प्रभारी राम अभिलाष बौद्ध, सिरमौर बौद्ध विहार के सचिव राम फल फौजी, बौद्धाचार्य तुलसी राम शास्त्री, पन्ना लाल बौद्ध, अरुण कुमार भारती, हरिकेश कुमार, वरुण कुमार रामधन,रामलौट, रामराज,राम कुमार,राम पाल,मंगेश कुमार, विजय कुमार के साथ किशोरी लाल, संजीव कुमार,भगत, राघवराम, धर्मेंद्र कुमार, इन्द्र पाल गौतम,आर एस चक्रवर्ती, राम बली गौतम, आशा देवी, अर्चना,अंजू बौद्ध, पूजा, कलावती , विश्राम आदि मौजूद रहे।

महाबोधि विहार को बौद्धों को क्यों नहीं सौंप रही सरकार
धम्मदेशना कार्यक्रम में भिक्षु संघ ने बोधगया में महाबोधि विहार की मुक्ति के लिए चल रहे आंदोलन और सरकारी कार्रवाइयों की जानकारी दी। भिक्षु संघ ने बताया कि महाबोधि विहार का मामला अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है, दुनिया के बौद्ध राष्ट्र आंदोलन के समर्थन में हैं। यहां 1949को मंदिर प्रबंधन एक्ट कायम है। केन्द्र सरकार और बिहार सरकार सोई हुई है और बौद्ध भिक्षुओं पर ज़ुल्म कर रही है। विदेश यात्राओं में बुद्ध की धरती के रूप में भारत का गुणगान करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बौद्धों का अपमान कर रहे हैं। भिक्षु संघ ने लोगों से आंदोलन में तन , मन, धन से सहयोग करने की अपील की।

भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व लाभ प्राप्त करने के बाद लगभग 45वर्ष तक धम्म चक्र प्रवत्तन किया। और दुनिया को शांति, अहिंसा , करुणा, प्रज्ञा, मैत्री की शिक्षा दी।गृहस्थों के लिए उन्होंने त्रिसरण और पंचशील का अनुपालन करने को कहा है। पंचशील सबके लिए कल्याणकारी है।आज दुनिया में अशांति फैली हुई है।कई देश हिंसा में लिप्त है। मानवता पीड़ित हैं। मानवता की रक्षा के लिए मधुर वाणी के साथ बुद्ध की शिक्षाओं को अपने आचरण में लाएं। सुबह जल्दी नींद त्यागें, नित्य क्रिया के बाद योग और विपश्यना अवश्य करें। युद्ध से कभी भी किसी समस्या का हल नहीं हुआ, आज दुनिया को बुद्ध की जरूरत है।