फेल हुई रोजगार सृजन की मंशा,मजबूरी की स्कीम हो गई मनरेगा

चार महीने से भारत सरकार ने नहीं दिए मजदूरी के पैसे, पलायन कर रहे मजदूर

एक साल से नहीं हुआ मैटेरियल पेमेंट

ग्राम प्रधानों ने हाथ खड़े किए, गांवों में बंद हुए काम

कृपया खबर के साथ मनरेगा का मोनोग्राम लगाएं

संजीव भारती /पारदर्शी विकास न्यूज़ अमेठी। मनरेगा अब रोजगार के लिए जरूरी स्कीम से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों की मजबूरी हो गई है। मनरेगा कर्मी नौकरी बचाने के लिए कागज की नाव चला रहे हैं। पिछले चार महीने से मजदूरों के खाते में मजदूरी के पैसे नहीं पहुंचे हैं। मैटेरियल पेमेंट एक साल से नहीं हुआ है, स्थिति यह है कि नये वित्तीय वर्ष में 15रु मजदूरी बढ़ने के बाद भी मजदूर काम के लिए नहीं मिल रहे हैं। गांवों से मजदूरों का पलायन कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
मनरेगा में मजदूरी और सामग्री व्यय का भुगतान कभी समय से नहीं होता है। अधिकांश काम ग्राम प्रधान अपनी जिम्मेदारी पर खुद के पास से धन की व्यवस्था करके कराते हैं। दिसंबर से मजदूरी का भुगतान न होने से ग्राम प्रधानों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। कोई भी नया काम शुरू नहीं हो पा रहा है ‌मनरेगा कर्मी पिछले कार्यों के मास्टर रोल फ़ीड कर किसी तरह कागज की नाव चला रहे हैं।न रोजगार की मांग हो रही है और न ही किसी को कोई काम मिल रहा है। गांवों में गेंहू और सरसों की कटाई का काम शुरू होने के कारण मजदूर मनरेगा से पूरी तरह दूर हैं।

नहीं पूरा हुआ मानव दिवस का लक्ष्य,53फीसदी है सौ दिन रोजगार की प्रगति

जिले में मनरेगा के अन्तर्गत 226162जाब कार्ड जारी किए गए हैं, इनमें से क्रियाशील जाब कार्डों की संख्या 150757है। एक तिहाई जाब कार्ड निष्क्रिय है और खाली पड़े हुए हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25में कुल4248385 मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य था।3909018 मानव दिवस ही साल भर में सृजित हो पाए हैं।‌11683श्रमिकों को सौ‌ दिन रोजगार के लक्ष्य के सापेक्ष 6187परिवारों को ही सौ दिन रोजगार मिल पाया है। मनरेगा कार्मिकों ने बताया कि समय से मजदूरी न मिलने के कारण अब मजदूर मनरेगा में काम करने को तैयार नहीं है। विलम्बित भुगतान की समस्या कभी दूर नहीं होती है, इसलिए ग्राम प्रधान भी अब रूचि नहीं ले रहे हैं। मैटेरियल पेमेंट में करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं। नया वित्तीय वर्ष भी शुरू हो गया है अभी तक पिछले वर्ष के लेबर और मैटेरियल पेमेंट की धनराशि भारत सरकार ने नहीं प्रदान की है।

सभी ग्राम पंचायतों में नहीं बन पाए अमृत सरोवर

शासन की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एक अमृत सरोवर बनाने के निर्देश दिए गए थे। तीन साल में 235अमृत सरोवर ही बन पाए हैं, जबकि जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या 682है।इस समय सभी ग्राम पंचायतों में काम ठप पड़े हुए हैं।
सरकार की ओर से मजदूरी 237रु से बढ़ाकर 252रु कर दी गई है फिर भी मजदूर काम करने को तैयार नहीं है।


भारत सरकार की ओर से अभी तक भुगतान की धनराशि नहीं दी गई है।कब तक पैसा आएगा कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। धनाभाव में काम प्रभावित हो रहे हैं।

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