सर्वे के दायरे में रहेंगी जिले की 3330 वक्फ संपत्तियां

वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म

अजय त्रिपाठी पारदर्शी विकास न्यूज
बहराइच।
मदरसा सर्वे के साथ ही अब जिले में स्थिति सभी वक्फ संपत्तियों का भी सर्वे होगा। इस दौरान राजस्व अभिलेखों में ऊसर व बंजर भूमि में दर्ज भू संपत्ति की जांच होगी। इस दौरान 3330 वक्फ संपत्तियां विशेषतौर पर निशाने पर रहेगी। जिले में वर्ष 1986 के गजट के अनुसार 2162 वक्फ संपत्तियां दस्तावेजों में दर्ज हैं। इनमें 2089 सुन्नी वक्फ व 73 शिया वक्फ के हिस्से में हैं। जबकि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधिकृत वामसी वेबसाइट वामसी पर सुन्नी व शिया वक्फ को मिलाकर कर कुल 5492 वक्फ संपत्तियां हैं। ऐसे में सर्वे के दौरान गजट के इतर मौजूद वक्फ संपत्तियों के खास तौर पर घेरे में आने की बात भी जिम्मेदार स्वीकार रहे हैं। एक माह में पूरे होने वाले इस सर्वे की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। वक्फ संपत्तियों के सर्वे के शासन से जारी निर्देश के बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में बुधवार को हलचल तेज रही। अधिकारियों की निगरानी में मौजूद कर्मचारी दिन भर वक्फ संपत्तियों से जुड़े पुराने रिकार्डों को खंगालने में जुटे दिखे। राज्यपाल की ओर से 1986 में कराए गए गजट के अनुसार जिले में 2162 वक्फ संपत्तियां अभिलेखों में दर्ज हैं।


इनमें से 2089 सुन्नी वक्फ व 73 शिया वक्फ की हैं। 1989 के बाद से वक्फ संपत्तियों को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सर्वे नहीं करवाया गया है। इस कारण सैकड़ों वक्फ संपत्तियों के बढ़ जाने का अंदेशा भी जताया जा रहा है। शासन की ओर से जारी निर्देश में इन सभी वक्फ संपत्तियों का भौतिक सत्यापन कर सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिले में वक्फ संपत्ति के रुप में कई मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, कब्रगाह और नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र की ऊसर व बंजर भूमि दर्ज है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधिकृत वेबसाइट वामसी पर जिले में 5492 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं। इसमें सर्वाधिक 3547 वक्फ संपत्तियां सदर तहसील में हैं। वामसी पोर्टल पर सदर तहसील में 3466 सुन्नी व 81 शिया, कैसरगंज तहसील में 1041 सुन्नी व दो शिया, महसी तहसील में केवल 45 सुन्नी और नानपारा तहसील में 857 सुन्नी वक्फ संपत्तियों का विवरण मौजूद है। हालांकि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से इसे अधिकृत न मानते हुए राज्यपाल के गजट के अनुसार 1986 में जारी वक्फ के डेटा को ही अधिकृत बताया जा रहा है।
जिला अल्पसंख्यक अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया कि मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1960 के तहत मुस्लिम विधि या प्रथा के अनुसार धार्मिक, धर्मशील आदि प्रयोजनों के लिए स्थायी समर्पण या अनुदान की गई संपत्ति को वक्फ कहा गया है। अधिनियम में बिना प्रक्रिया पालन के वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है।
राजस्व विभाग के शासनादेश 1989 के तहत प्रयोग के आधार पर ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र की ऊसर, बंजर भूमि को वक्फ के रुप में दर्ज कर दिया गया जबकि ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र की इन ऊसर व बंजर भूमि को सार्वजनिक भूमि मान कर जनहित के कार्य में प्रयोग किया जाता है। शासनादेश 1989 द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों के स्वरूप व प्रबंधन में परिवर्तन कर दिया गया। जो राजस्व कानूनों के विपरीत है। जिसे देखते हुए राजस्व विभाग की ओर से आठ अगस्त 2022 को पूर्व में जारी शासनादेश 1989 को निरस्त कर दिया है और इस शासनादेश के तहत की गई कार्यवाई को दुरुस्त करने का निर्देश भी जारी किया गया।
शासन की ओर से जिले की सभी वक्फ संपत्तियों के सर्वे का निर्देश जारी किया गया है। जिसके लिए डाटा एकत्रीकरण किया जा रहा है, एक से दो दिन में सर्वे कार्य शुरू हो जाएगा।

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