168वें बलिदान दिवस पर वीरांगना झलकारी बाई को भावभीनी श्रद्धांजलि, 22नवम्बर को सार्वजनिक अवकाश की मांग
कलेक्ट्रेट में डी एम को दिया राष्ट्र पति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन
संजीव भारती /पारदर्शी विकास न्यूज़अमेठी/मुंशीगंज। 1857के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अमर शहीद वीरांगना झलकारी बाई कोरी का 168वां बलिदान दिवस संकल्प और स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाया गया। डा अम्बेडकर मार्केट मुंशीगंज में स्थित वीरांगना झलकारी बाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद वीरांगना झलकारी बाई कोरी जागृति मंच की ओर से चौरसिया मैरिज लान गौरीगंज में सभा का आयोजन किया गया।सभा में झांसी के महासंग्राम में वीरांगना झलकारी बाई के परिवार के बलिदान के साथ स्वतंत्रता संग्राम में दलित शूरवीरों और वीरांगनाओं के इतिहास पर विस्तार से संवाद हुआ और उनके इतिहास को घर घर तक पहुंचाने के साथ राष्ट्रीय एकता और सामाजिक एकता को मजबूत रखने का संदेश दिया गया। कई वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश में कोरी समाज और दलित समाज के ऊपर हुए अपराध, उत्पीड़न और अन्याय और अत्याचार की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताई।

बलिदान दिवस के कार्यक्रम में जिला सेवा योजन अधिकारी श्रीमती अनुपमा रानी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं।
उन्होंने कहा कि दुनिया में महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण और आदर्श वीरांगना झलकारी बाई हैं। गुलाम भारत में उन्होंने अनपढ़ होते हुए भी स्वयं को मलखंभ, तीरंदाजी और घुड़सवारी में इतना सशक्त किया कि वे झांसी की रानी की स्त्री सेना का सेनापति बन गई।

उन्होंने कहा कि दुनिया में महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण और आदर्श वीरांगना झलकारी बाई हैं। गुलाम भारत में उन्होंने अनपढ़ होते हुए भी स्वयं को मलखंभ, तीरंदाजी और घुड़सवारी में इतना सशक्त किया कि वे झांसी की रानी की स्त्री सेना का सेनापति बन गई। उन्होंने झलकारी बाई के जीवन दर्शन को भारतीय समाज की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बताया और कहा कि शिक्षा विकास की कुंजी है, अच्छी शिक्षा हासिल करके ही महिलाएं समाज और राष्ट्र में नाम रोशन कर सकती हैं।
आयोजन समिति की ओर से संयोजक राम सजीवन कोरी, सहसंयोजक -अवधेश बौद्ध, राजेश कोरी, ज्योति वर्मा और अनिल बौद्ध ने अतिथियों का स्वागत सम्मान किया।

बामसेफ के जिला अध्यक्ष संजीव भारती ने कहा कि झलकारी बाई का जीवन दर्शन भारतीय इतिहास की एक कटु सच्चाई है। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास में दलित समाज के शूरवीरों और वीरांगनाओं का महान योगदान रहा है। डा अम्बेडकर ने कहा था कि इतिहास बनाने के लिए इतिहास जानना आवश्यक है।बसपा के पूर्व जिला अध्यक्ष सुरेश कमल ने झलकारी बाई के बलिदान और शौर्य गाथाओं का वर्णन किया और 22नवम्बर को झलकारी बाई की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की मांग की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त शाखा प्रबंधक राजाराम कोरी बौद्ध ने की। उन्होंने कहा कि कोरी समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है। कोरी समाज ने दुनिया को भगवान बुद्ध, डॉ अम्बेडकर,वीर ऊधम सिंह, वीरांगना झलकारी बाई,पूरन कोरी जैसे महान पुरुष दिए हैं।
झलकारी बाई की वीरता का उल्लेख अंग्रेज जनरल विलियम ह्यूरोज ने अपनी पुस्तक में किया है। कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार कोरी बौद्ध ने किया।हरीराम ने चेतना गीत प्रस्तुत किया।रामनाथ भारती, हौसिला प्रसाद बौद्धाचार्य अम्बेडकर सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय प्रताप कोरी, बसपा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इन्द्र पाल गौतम, त्रिभुवन दत्त, केश कुमारी, बाबू लाल मास्टर, रामहर्ष,राम चन्द्र बौद्ध, ललित कुमार, राकेश कुमार बौद्ध, रमेश गौतम , रामशंकर दानी ,हरिनाथ प्रधान आदि ने संबोधित किया।कुल रोशन, प्रमोद कुमार एडवोकेट, बृजेश कुमार, विनोद कुमार, राजेन्द्र प्रसाद, दयाराम,राम प्रसाद, पलटूराम, सुंदर लाल प्रधान, राम बरन कोरी आदि मौजूद रहे।

ज्ञापन निम्न मांगे -एक नजर
1-वीरांगना झलकारी बाई के जन्म दिवस 22, नवम्बर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाय।
2-एथेलेटिक्स, घुड़सवारी और तीरंदाजी खेलो में प्रतिभाशाली और राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान हासिल करने वाली महिलाओं को वीरांगना झलकारी बाई के नाम से खेल रत्न पुरस्कार शुरू किया जाय।
3-अमेठी में पूरे प्रेम के पास बाईपास तिराहे पर वीरांगना झलकारी बाई कोरी की आदमकद प्रतिमा की स्थापना की जाय
4-महाबोधि विहार बोधगया को बौद्धों के स्वामित्व में दिया जाय। महाबोधि विहार परिसर में कर्मकाण्ड और अवैज्ञानिक गतिविधियों को रोका जाय।
5-बुनकर और कपड़ा बनाने का व्यवसाय करने वाले लोगों को बिना ब्याज के पांच लाख रुपए तक का ऋण देने के लिए मुख्यमंत्री बुनकर उद्यमी योजना प्रारंभ की जाय।